सात समंदर पार से आए हैं आप की नैया पार लगाने

नई दिल्लीदिल्ली की सियासत में आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल कितना असर दिखाते हैं, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन प्रवासी भारतीयों पर लगता है केजरीवाल के जादू ने असर दिखा दिया है। अन्ना से अलग होने के बावजूद सात समंदर पार से प्रवासी भारतीयों की जमात आप के चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। कुछ लोग लंबी छुट्टी न मिलने के कारण इस्तीफा देकर पहुंचे हुए हैंअमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, फ्रांस, कोरिया और अन्य देशों से लगभग 50 प्रवासी भारतीय यहां पहुंचे हुए हैंआप के चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली पहुंचे प्रवासी भारतीय ठोस रणनीति बनाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इन लोगों पर केजरीवाल टीम की कोई पाबंदी नहीं है। प्रवासी भारतीयों ने अपने स्तर से हर विधानसभा सीट का सने किया है। जहां स्थिति कमजोर नजर आ रही है वहां-वहां पहुंचकर मतदाताओं से मिल रहे हैं। डोर-टू-डोर कंपेनिंग में जुटे ये लोग भ्रष्टाचार मुक्त भारत के साथ-साथ तरक्की का सपना भी दिखा रहे हैं। खासतौर से युवाओं और महिलाओं को टारगेट कर लोकतांत्रिक मूल्य और संवैधानिक अधिकार के प्रति जागरूक किया जा रहा है। शिकागो में बाल रोग विशेषज्ञ मुनीश रायजादा मूलतरू हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले के निवासी हैं। महात्मा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंस सेवाग्राम, महाराष्ट्र से एमडी की डिग्री लेने के बाद 11 साल से शिकागो में प्रैक्टिस कर रहे हैं। मुनीश ने कहा कि जब तक पोलिटिकल कल्चर नहीं बदलेगा, भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो सकता। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत भ्रष्टाचार की वजह से बदनाम हो रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां यहां से लौटकर जो बयां विदेशों में करती हैं उससे शर्म से सिर झुक जाता है। अमेरिका में 18 मई को आम आदमी पार्टी का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन कर प्रवासी भारतीयों से इस मुहिम में जुट जाने की अपील की गई थी। इसी से प्रेरित होकर वह भारत आए हैं। 



इंग्लैंड के एक कालेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में लेक्चरर रहे 77 वर्षीय जयनाथ मिश्रा मूलतरू यूपी के बुलंदशहर के निवासी हैं। जानियवीय जयनाय मित्रा मूलदारू लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी करने के बाद वे इंग्लैंड चले गए और वहीं से इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन इंडियन न्यूज चौनल को देखकर वे अन्ना आंदोलन से प्रभावित हुए। विदेशों में भारत की इमेज बहुत खराब है। मुझे लगा कि आप वाले भारतीय राजनीति में कुछ करिश्मा कर सकते हैं। ईमेल करके चुनाव प्रचार में आने की इच्छा व्यक्त किया। इन लोगों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। डोर-टू-डोर जा रहा हूं। खासतौर से नौजवानों और महिलाओं से मिल रहा हूं। महिला और युवा ही देश की राजनीति को बदल सकते हैं। अमेरिका के सिएटल में माइक्रोसाफ्ट कारपोरेशन में बतौर सीनियर मैनेजर पद पर तैनात वरुण गुप्ता मूलतरू वाराणसी के निवासी हैं। दिल्ली के नेताजी सुभाष इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नालॉजी से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करने के बाद वे तीन साल से अमेरिका में रह रहे हैं। उनका कहना है कि भारत में आम लोगों की जिंदगी खराब हो रही है। लोग पिछड़ रहे हैं। अब तक कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा था। सभी पार्टियां एक जैसी लग रही थी, लेकिन आप के प्रति लोगों का भरोसा जगा हैउन्होंने कहा कि जनलोकपाल आंदोलन के समय से ही वे जुड़े थे, लेकिन जब केजरीवाल ने राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की तो लगा कि सही फैसला है। राजनीतिक बदलाव के बिना भ्रष्टाचार नहीं मिट सकता। केंद्र सरकार ने अन्ना को धोखा दिया।


यदि भ्रष्टाचार को मिटाने की इच्छा शक्ति होती तो केंद्र सरकार गंभीर होती। उन्होंने कहा कि यूएसए में बड़े-बड़े प्रोजक्ट पर काम किया है। टीम को किस तरह लीड करना है, अपने अनुभव को लागू कर रहा हूंझारखंड की मूल निवासी रश्मि श्रीवास्तव बीआईटी मेसरा से एमटेक करने के बाद 3 साल से अमेरिका (डलास) में साफ्टवेयर इंजीनियर हैं। रश्मि ने कहा कि चौपाल पर बैठकर, टीवी व अखबार देखकर राजनीतिक  र्चचा करने से कोई बदलाव नहीं होने वाला है। इसके लिए खुद को आहूति देनी पड़ेगी। अन्ना ने आंदोलन कर वाला है। इसके लिएलोगों को जागरूक किया। केजरीवाल ने राजनीतिक पार्टी बनाकर लोगों को विकल्प दिया है। ऐसा मौका बार-बार नहीं आएगायही सोचकर अमेरिका से यहां आई हूं। रश्मि ऑनलाइन प्रचार-प्रसार का जिम्मा निभा रही हैं। फेसबुक, ट्विटर व यू ट्यूब के जरिए लोगों को जोड़ रही हैं। इसके अलावा विदेश में बैठे प्रवासी भारतीयों के साथ को- आर्डिनेट कर रही हैं। आंध्रप्रदेश के नालगोंडा जिले के मूल निवासी राघव रेड्डी उस्मानिया यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ कंप्यूटर साइंस की डिग्री लेने के बाद 15 सालों तक अमेरिका में साफ्टवेयर आर्किटेक्ट रहे। वे नौकरी छोड़कर आम आदमी पार्टी का चुनाव प्रचार करने आए हैं। प्रवासी भारतीयों को एकजुट कर ओबामा का चुनाव प्रचार करने आए हैं। प्रवासी भारतीयों को एकजुट कर ओबामा का चुनाव प्रचार कर चुके राघव रेड्डी ने बताया कि विदेश में बैठकर अन्ना आंदोलन का समर्थन किया गया था। इसके लिए जगह-जगह नुक्कड़ नाटक कर फंड जमा किया गया, आंदोलन में सहयोग दिया गया। 12 दिनों तक भूख हड़ताल करने के बाद भी जनलोकपाल बिल नहीं पास हो सकारेड्डी कहां चुनाव प्रचार सामग्री भेजना है, कहां कार्यकर्ताओं को खाने के लिए पुरी-सब्जी भेजना है, यही काम देख रहे हैं। वे सेवा भाव से काम कर रहे हैं। दिल्ली के मूल निवासी संजय कुमार आईआईटी खड़गपुर से बीटेक हैं।


अरविन्द केजरीवाल के जूनियर रह चुके संजय 8 साल से नार्थ अमेरिका के कॉरोलिना में जर्मन बैंक में असिसटेंट वाइस प्रेसिडेंट पद पर तैनात थे। लंबी छुट्टी न मिलने के कारण वे इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करने चले आए। सोशल मीडिया के जरिए चुनाव प्रचार कर रहे संजय डोर-टू-डोर लोगों से मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका में स्वामी विवेकानंद के नाम से भारतीयों को पहचान मिली थी, लेकिन अब वह बात नहीं रही। अपने देश के लिए कुछ करने का मौका मिला है, इसलिए आम आदमी पार्टी से जुड़कर काम कर रहा हूं।